ब्रह्मचर्य क्यों? वेदों, शास्त्रों, पुराणों, उपनिषद का भी यही निष्कर्ष है, कि 'हर प्राणी का जन्म संभोग से संभोग के लिए हुआ।
अजमेरा उवाच ईसाइयत और मुस्लिमों में कहीं भी ब्रह्मचर्य का पालन नहीं कहा गया। इसलिए वह खुलकर संभोग करके बच्चे पैदा करके दुनिया पर कब्जा कर रहे हैं। वहां स्त्रियों के पतिव्रता होने की कोई पाबंदी भी नहीं है। सारी पाबन्द‍ियां पतिव्रता ब्रह्मचर्य आज मंगलवार है, शनिवार है अमावस है। नवरात्रि है। ह‍िंदुओं के सारे पाखंड पुरुष को नपुंसक और नामर्द सिद्ध करते हैं और स्त्रियों की निगाह में पुरुष को पौरुषहीन बनाते हैं। उसका परिणाम पूरी दुनिया में फैला हुआ हिंदू धर्म घटते घटते भारत में भी सिमटकर खत्म होने की कगार पर है। इसलिए उनकी जनसंख्या बढ़ते-बढ़ते ईसाइयों की 110 देशों में फैल गया और मुस्लिम 65 देशों में फैल गए। और हम बजरंगबली का ब्रह्मचर्य का पालन करते रहे तो इस देश से भी साफ हो जाएंगे। समझे आर्यसमाजियों। फिर हिंदू पुरुष ब्रह्मचार्य पालन करते रहें। स्वाभाविक है हिंदू स्त्रियों को मुस्लिमों के साथ निकाह पढ़कर प्राकृतिक शारीरिक आवश्यकता को पूरा कर संभोग कर अपनी स्त्री होकर मां बनने का कार्य करना पड़ रहा है। और यही कारण है कि हिंदु स्त्रीयां भाग भाग कर मुसलमानों में उसकी दूसरी तीसरी बीवी बनना भी पसंद कर लेती हैं।और हिंदुओं के साथ रहना पसंद नहीं करती तो हिंदुओं यह बदतमीजी बंद कर दो। अगर दम नहीं है।तो खाओ पियो और शरीर बना कर वीर्य उत्पादन की क्षमता पैदा कर धरती पर अपने पुरुष बन कर पैदा हुए हो तो अपने माता-पिता के कर्ज को संतानोत्पत्ति कर उतारने, और अपनी हिंदू स्त्रियों को घर में बांधे रखने, धन कमाने की अपेक्षा समय देकर भरपूर संभोग करो। फिर वेदों, शास्त्रों, पुराणों, उपनिषद का भी यही निष्कर्ष है, कि 'हर प्राणी का जन्म संभोग से संभोग के लिए हुआ है'। तो अनावश्यक ब्रह्मचर्य लादकर, अपने को अपनी ही स्त्री के सामने पौरुषहीन सिद्ध करने पर क्यों तुले रहते हो। ताकि वह अपनी शारीरिक आवश्यकताओं को पूरा करने यहां वहां मुंह नहीं मारे। और पुरुष का सबसे बड़ा अभिशाप गरीब और भिखारी होना नहीं, पौरुषहीनता होती है। आप अपनी स्त्री के सामने वार त्यौहार अमावस सावन दिखाकर आप उसको कुंठित करके यौनाचार करने के लिए बाहर जाने के लिए मजबूर करते हैं। इस सच को भी समझ लो। 2 नहीं 5 बच्चे पैदा करो अन्यथा सन 2050 तक तुम्हारा नामोनिशान मिट जाएगा। इस सच्चाई को भी समझो। यह छद्म करोना की महामारी का उद्देश्य यही है कि डरपोक हिंदुओं को 24 घंटे टीवी मोबाइल और समाचार पत्रों में दहशत बांट, मुंह पर मास्क बांधकर दम घोंट के खत्म कर दो। अगर। फिर भी बच जाए तो दहशत भर कर टीके लगवाने को मजबूर करो। टीके से मर जाएंगे और नहीं मरेंगे तो सब बधिया हो जाएंगे। जैसा कि माइक्रोसॉफ्ट के बिल गेट पिछले 40 साल से डिपापुलेशन फाउंडेशन के माध्यम से और यूरोपीय ईसाई समुदाय का पिछले 300सालों से हिंदुओं को खत्म करने का षड्यंत्र चल रहा है। और मोदी सरकार उनकी कठपुतली बनकर नाच कर हिंदुओं को खत्म कर रही है। अभी पिछले 14 महीनों में मरने वाले निम्न मध्यमवर्गीय और मध्यमवर्गीय हिंदू ही ज्यादा क्यों मरे? और टीका लगवा कर जो मरने वाले हैं। उसमें भी हिंदुओं की संख्या ज्यादा क्यों है? मुसलमानों को हाथ लगाने की तो प्रशासन पुलिस और नगर निगमों में औकात नहीं। वो टीका भी नहीं लगवा रहे हैं।कोरोना के नाम पर उनको ज्यादा अस्पतालों में भर्ती भी नहीं किया गया। मरने वाले 95% अभी हिंदू ही क्यों थे? इस कड़वे सच को समझो? अन्यथा तो सभी घोर ज्ञानी हो। इसके विपरीत माता सरस्वती का आशीर्वाद है। कि वह मेरे से लिखवाए हुए लेखों को तत्काल लोगों को समझ में आए ना आए। पर भविष्य में सत्य सिद्ध कर देती हैं। समझ में आए तो भी ठीक और न भी आए तो भी ठीक। परिणाम तो आपके सामने हैं। दृष्टि अंध भक्तों की हो सकती है। प्रस्तुति लेखक एवं निवेदक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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