पूजा, प्रार्थना, इबादत, अरदास सब दिल और दिमाग से मनुष्यता या धर्म मानने वालों पर आए संकट को दूर करने के लिए
देश में हिंदू मुस्लिम के नाम पर झगड़े तो सैकड़ों साल से होते रहे लाखों लोग इसमें हर बार मरते गिरते भी रहे। सबका अपना अपना धर्म महान है। सारे धर्म, धर्मों के मंत्र, पूजा, इबादत, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च सब मनुष्यों की भलाई से हैं। मंदिर मस्जिद मस्जिद गुरुद्वारा चर्चों के नाम पर लड़ने झगड़ने वाले 140 करोड भैड़ों 14 महीने से बहुराष्ट्रीय कंपनी के इशारे पर नाचती हुई सरकार के 24 घंटे, सातों दिन मोबाइलों टीवी समाचार पत्रों में दहशत बांट, मुंह पर मास्क बांधकर जानबूझकर बीमार बना मौतों का तांडव कर उसकी आड़ में तालाबंदी का पाखंड कर बेरोजगारी और भूख से मार रही है। धर्म का पाखंड करने वालों कहां है, तुम्हारी पूजा, प्रार्थना, इबादत, अरदास? जब सब 14 महीने से तालाबंदी के कारण बेरोजगारी और भूख के साथ बच्चों की अशिक्षा का संकट झेल रहे हो। तो ठीक है, कि मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, चर्च सब बंद पड़े हुए हैं। पर पूजा, प्रार्थना, इबादत, अरदास सब दिल और दिमाग से मनुष्यता या धर्म मानने वालों पर आए संकट को दूर करने के लिए होती हैं। तो 14 महीने से 140 करोड़ धर्म का पाखंड करने वाले जाहिलो, सब एक होकर अपने अपने अपने प्रभु, देवी-देवता, ईश्वर, अल्लाह, जीसस, गुरुदेव से मात्र १ हजार चांडाल लोगों की जिसमें मोदी, शाह, मुकेश अंबानी गौतम अदानी के साथ अपने प्रदेश के मुख्यमंत्रियों यथा शिवराज, योगी आदि के साथ अपने जिलों के कलेक्टर का नाम लेकर जो आपको बेरोजगार बनाकर मुंह पर मास्क बांध दम घोंट 24 घंटे दहशत बांट जबरदस्ती बीमार बना कर मौतों का तांडव कर तालाबंदी से बेरोजगार कर भूख से मारने पर तुले हैं, उन सब चांडालो की अकाल मौत की सतत प्रार्थना करते तो अभी तक न जाने कितने कलेक्टर कमिश्नर मुख्यमंत्री मोदी अमित शाह मुकेश अंबानी जैसे देह त्याग पलायन कर चुके होते और आप अपने-अपने रोजगार करके शांति से जी रहे होते। अभी भी वक्त है। सुबह, शाम और जब मौका मिले चौबीसों घंटे में कभी भी बच्चों से लेकर बूढों तक सभी उम्र के, सभी धर्मों के मानने वाले स्त्री-पुरुष, स्वयं अपनी प्रार्थना की शक्ति का आंकलन करते हुए अपने इष्ट से इंसान डालो की मौत की प्रार्थना कर शीघ्र तालाबंदी खत्म करवा कर अपने रोजगार बुक के संबंध बच्चों की शिक्षा आदि की स्वयं व्यवस्था करें। आप जीवित हैं। तो भगवान, देवी-देवता, ईश्वर, अल्लाह, वाहेगुरु, जीसस, मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारे, धर्म, अधर्म, कानून बाजार दुकान मंडिया और उस से बनी दुनिया हैं। दुनिया है।तो आप नहीं। यदि आप मनुष्य बनकर पैदा हुए हैं भोजन करते हैं वस्त्र धारण करते हैं और अपने आप को बुद्धिजीवी बोलते हैं तो यह अवश्य करें। अन्यथा भेड़ बकरियों जानवरों से तो कुछ कहा नहीं जा सकता। यह भगवान देवी देवता अल्लाह ईश्वर चर्च वाहेगुरु सब आपकी भलाई के लिए हैं बशर्ते प्रार्थना करें आप तो और वैसे भी व्यक्तिगत परेशानी में आप उन्ही का नाम लेते हैं तो इतनी बड़ी परेशानी में उनका नाम, जाप, तप, पूजा, अर्चन, प्रार्थना, अरदास, इबादत क्यों नहीं कर रहे। कीजिए और धर्म और भगवान, इष्ट कोई से भी हों। सब की प्रार्थना की तरंगे क्या अमेरिका के बिल गेट, वारेन बुफेट, जेनबेजोफ, जुकरबर्ग, रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीन के जिनपिंग, भारत के मुकेश अंबानी, गौतम अडानी, मोदी अमित शाह जिलों के कलेक्टर कमिश्नर मिशन 21 में प्रार्थना से ही निपटा दो ना जो आपको जनसंख्या कम करने के नाम पर निपटा रहे हैं कम से कम अपनी मौत पहले चरण दूसरे चरण तीसरे चरण से पहले अपने आने वाली पीढ़ियों को ही बचाने का काम कर लो। और सचमुच समर्पित भाव से दिल और दिमाग से प्रार्थना की। तो यह आपको क्या मारेंगे ये सब खुद ही मौत का शिकार हो जाएंगे। पूजा, प्रार्थना, इबादत, अरदास दिल से होती है। उसके लिए किसी पूजा स्थल की जरूरत नहीं वे खुले हो या बंद हो। पहले अपनी शक्ति को पहचान कर बिना हथियार के भी राक्षसों, चांडालों, दुष्टों, भ्रष्टों, अत्याचार करने वालों पर अदृश्य मस्तिष्क की तरंगों से घात करना सीखो। तब आपका, आपके परिवार का, समाज का, देश का जीना सफल होगा।
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