अंतरराष्ट्रीय स्तर की बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा डब्ल्यूएचओ के इशारे पर जो जो देश में उनकी दवाइयां, वैक्सिंन मेडिकल उपकरण को बेचने आईएमए और आईसीएमआर दोनों को मोटा पैसा खिलाकर अपनी फर्जी दवाइयों वैक्सीन जिनमें सब का साइड इफेक्ट, और बड़ी बीमारियों का कारण
यथार्थ में यह अंतरराष्ट्रीय स्तर की बहुराष्ट्रीय कंपनी द्वारा डब्ल्यूएचओ के इशारे पर जो जो देश में उनकी दवाइयां, वैक्सिंन मेडिकल उपकरण को बेचने आईएमए और आईसीएमआर दोनों को मोटा पैसा खिलाकर अपनी फर्जी दवाइयों वैक्सीन जिनमें सब का साइड इफेक्ट, और बड़ी बीमारियों का कारण बनते हैं। को छुपाने का षड्यंत्र है। पिछले 14 महीने से चल रहे पाखंड को समझिये। जिसमें 24 घंटे सातों दिन मोबाइल टीवी समाचार पत्रों समय दहशत बांट और मुंह पर मास्क बांध जानबूझकर मानसिक अवसाद का शिकार बना लोगों को बीमार बनाया जाकर मौत का तांडव किया जाकर तालाबंदी का नाटक खेला जा रहा है। मिशन२१ के जनसंख्या कम करो, तालाबंदी का पाखंड कर देसी उद्योगों, दुकानों, व्यवसाय, बाजारों, मंडियों को खत्म करो। सारी व्यवस्था बहुराष्ट्रीय कंपनियों को लूटने के लिए छोड़कर गुलाम बना दो देश को। हजारों साल से नालों, पोखरों, का पानी पीकर, ताजी, बासी भोजन, फल फूल सब्जियां खाकर हम और हमारे बुजुर्ग हमें यहां तक लेकर आए हैं। यह सब होता आ रहा है। बेचारे जानवरों को जंगल में भूख लगी खराब खाना, जो सब्जियां फल पत्ते आदि और स्वयं अपने घरों से फफूंद लगी रोटियांं सब्जी फल खाने को डाल देते हैं और वह सब खा जाते हैं। जिसका दूध हम पीते हैं। हम सबको मर जाना चाहिए था अभी तक तो। फिर जितना जहर, फल, सब्जियों, अनाजों मैं पैदा होते समय कीटनाशकों के रूप में, बहुराष्ट्रीय कंपनियों को शॉपिंग मॉल्स में पैकेट बंद खाद्य पदार्थों, सॉफ्ट ड्रिंक जूस आदि में हम भारत वालों को खिलाया जाता है। इतना जहर यदि यूरोप के देशों में खिला दिया जाए। तो महीने 2 महीने में सारे देश बीमार होकर साफ हो जाएंगे। हमारे पास हमारी सबसे बड़ी शक्ति, आयुर्वेदिक औषधि हैं। हमारे रसोई के मसाले, जो बड़ी से बड़ी बीमारी को शमन करने की क्षमता रखते हैं। हम सब उसी के बल पर जीवित हैं। बेशक साफ सफाई रखनी चाहिए। परंतु आज वही बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बनाए आर ओ का पानी हमारी बीमारियों का कारण बन गया। क्योंकि वह सारे पानी में पाए जाने वाले कैल्शियम, मैग्नीशियम, फास्फोरस, सोडियम जैसे खनिज लवणों आदि को इतना साफ कर देता हैं। कि जल के खनिज लवण के अभाव में हम और हमारे बच्चे कमजोर हो जाते हैं। वही हाल हम लोग जब सब छोटे थे धूल मिट्टी में खेला करते थे। तो धूल और गंदगी के प्रति हमारे शरीर में प्रतिरोधक क्षमता बनी रहती थी। वही हाल घर में चार पांच भाई बहन होने के कारण लड़ते झगड़ते थे। तो मानसिक व शारीरिक रूप से हमें लड़ाई झगड़ों मानसिक व शारीरिक मजबूती मिलती थी। परंतु दो और एक बच्चे ने, ना केवल स्वयं को, परिवारों को, समाज को हर तरह से कमजोर कर दिया। इसको भी समझें। हर सिक्के के 2 पहलू होते हैं। हम जिस वातावरण में रहेंगे उसी हिसाब से कमजोर और मजबूत बनेंगे। इसको भी समझना होगा।
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