महामारी की असली बीमारी छोटे व्यापारियों उद्योगों दुकानों को खत्म कर बहुराष्ट्रीय कंपनियों से करोड़ों रुपए महीने की कमाई के लिए लाकडाउन
इंदौर के बेस्ट प्राइस शॉपिंग मॉल ओमेक्स सिटी के सामने मांगालिया ने 17.04.21को मात्र 2 घंटे शॉपिंग मॉल खोला था। उसमें उसकी 60 लाख की बिक्री हुई। एक बोहरा समाज का व्यक्ति ने 2 क्विंटल चिकन, 2 क्विंटल अन्य मांस, 1 टन दाल, 2 टन गेहूं, 1 टन चावल, रोजा इफ्तार के लिए खरीदा। अब यदि उसने रु60लाख की बिक्री में 20लाख रु. का धन लाभ कमाया। और मान लें, 10लाख रु. के टुकड़े शहर के 8 विधायकों विपक्ष वालों 25 हजार और सत्ता पक्ष को 50हजार, कलेक्टर को १लाख, एडीएम एसडीएम को 25-25000/- निगमायुक्त को ५०हजार आईजी, डीजी, एसपी और टीआई, सीएमएचओ, खाद्य सुरक्षा अधिकारी को उनकी हैसियत के अनुसार 1 दिन की बिक्री का मिला। या इसे ऐसे मान लें की महीने भर में एक शॉपिंग मॉल में 1000 करोड़ रुपए की बिक्री की। रुपए 300 करोड़ का लाभ हुआ। और भारत के स्तर पर पूरे देश में वॉलमार्ट ने रु एक लाख करोड़ का माल 1 महीने में बेचा उसमें से 10,000करोड़ का 1000 करोड़ मिडिया में टीवी न्यूज़ चैनल वालों और अखबार वालों को, 9000करोड़ में से प्रधानमंत्री व सचिवालय, गृहमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री खाद्य मंत्री के साथ, सभी राज्यसभा और लोकसभा के सांसदों को, राज्यों के विधायकों के प्रदेश के मुख्यमंत्रियों, मंत्रियों व उनके सचिवालयों से लेकर जिले के प्रशासनिक अधिकारियों पुलिस निगम आयुक्त सीएमएचओ व अन्य संबंध रखने वालों को बांट दिया। जोकि lock-down का मूल उद्देश्य है। जब पैसा सभी प्रशासनिक अधिकारियों निगम आयुक्तों पुलिस सभी को मिल रहा है तो सभी लोग डाउन का सपोर्ट करेंगे या विरोध। तो देश दुनिया की जनता को बीमारी बढ़ाना लोगों को मारना और दहशत फैलाकर लाकडाउन करने का बहाना ढूंढना। आवश्यक है कि नहीं। फिर जो जितने बड़े शहर होंगे वहां इन शॉपिंग मॉल की इतनी बड़ी बिक्री होगी । वहां उतने ज्यादा हर बीमारी के जो 50से ज्यादा अन्य बीमारियों के मरीजों को भी कोरोना में दिखाना और दूसरी बीमारियों के लोगों की मृत्यु को भी कोरोना मैं दिखा कर भय फैलाना आवश्यक है, कि नहीं। और यह पाखंड 13 महीने से चल रहा है। जिसका मूल उद्देश्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के फायदे के लिए देश के सारे व्यापार उद्योग धंधों दुकानदारों को नष्ट करना ही है। इसलिए लाकडाउन का पाखंड करना ही पड़ेगा। ताकि सारे दुकानदार चौपट हो जाएं। वह तो मीडिया वालों ने जानबूझकर पक्ष विपक्ष के विधायकों पार्षदों से लेकर मंत्रियों मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री तक को गाली बकने शुरू कर दिया तो यह केवल नौटंकी दिखा रहे हैं जनता के बीच में आकर, कोई भी शॉपिंग मॉल को बंद करने की बात नहीं करता क्योंकि सब टुकड़खोर श्वानों को वेतन के साथ भांडगिरी, गुलामी और जी हजूरी का आय दस गुना मिल रहा है। तो सारे चांडाल जनता का खून पिएंगे ही। यह तथ्य मैंने 22 मार्च 2020 को ही रात में 10:00 बजे लिख दिया था। तब मेरा चारों तरफ भारी मजाक उड़ाया गया था। पर अब वह सच सामने है। जनता इसे समझे। लॉकडाउन खुलवाने के लिए जनता सड़कों पर उतरे। क्योंकि लॉकडाउन केवल छोटे व्यापारियों दुकानों उद्योगों को नष्ट करने का षड्यंत्र है। बीमारी खत्म करने का नहीं क्योंकि बीमारी है ही नहीं। यह तो पूर्ण पूर्व नियोजित षड्यंत्र के अंतर्गत 13 महीने से लगातार 24 घंटे मोबाइल टीवी और समाचार पत्रों में बांटी जा रही दहशत, मुंह पर मास्क बांधने, और सैनिटाइज करने के परिणाम स्वरूप उत्पन्न हुआ मानसिक अवसाद, शहीद को पूर्ण रुप से कमजोर कर खोखला बनाने का परिणाम अब बीमारी और मौत के रूप में सामने आ रहा है। फिर यहां चांडाल सत्ताधीशों के बारे में उनका कड़वा जहरीला सच बोलना, अफवाह फैलाना, आतंकी और पाकिस्तानी होने का पर्याप्त सबूत है। अब जनता के सामने सारा सच है कोई भी राजनीतिक दल, क्षेत्रीय न्यायालयों से लेकर सर्वोच्च न्यायालय तक सब बिके हुए है। आप की अगुवाई कोई नहीं करेगा। बेहतर होगा किसानों के आंदोलन में सहयोग कर और उनके साथ मिलकर अपने रोजगार और भूख के संवैधानिक हकों की लड़ाई के लिए सड़कों पर उतर जाएं। अन्यथा इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कठपुतली चांडाल भेडियो ने तो आप को गुलाम बनाने का षड्यंत्र रच दिया है। लेखक निवेदक एवं प्रस्तुति प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर
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