यथार्थ में दुनिया भय का व्यवसाय
यथार्थ में दुनिया भय का व्यवसाय है। सारे कानून, बीमा व्यवसाय, बैंकिंग, पुलिस, न्यायालय, सरकारी प्रबंधन, सारी नेतागिरी सड़क से लेकर प्रधानमंत्री राष्ट्रपति कार्यालय तक सारा खेल भय का ही है। कुछ लोग जिनकी जिंदगी का मतलब लोगों को दहशत देकर अपना सिक्का, व्यवसाय, अपनी नेतागिरी, प्रबंधन, सत्ता चलाना होता है। वह देश दुनिया में हर परिवार, गली, मोहल्ले, समाज, से लेकर हर विभाग, देश व दुनिया के शीर्ष पर भी पाए जाते हैं। सामने वाला, मरीज, प्रियजनों से लेकर, समाज, शहर, प्र्रदेश, देश व दुनिया की जनता परेशानी में कैसे रहे। जैसा कि वर्तमान में जिलों के कलेक्टर कमिश्नरों से लेकर देश का चांडाल प्रधानमंत्री तक पिछले ७सालों यही कर रहे हैं ताकि वे देश की जनता को दहशत में रखकर देश की सारी संपत्तियों को पूंजीपतियों को नीलाम करते रहें और दूसरी तरफ उनकी मौज मस्ती और हर दिन में 10-10 ड्रेस बदल कर 72साल की उम्र में भी उनके ऊपर व‍िपक्ष, म‍िड‍िया व जनता उंगली ना उठाएं वह देश की जनता को बेरोजगारी भूख से तिल तिल कर मारते रहें। इस बात का ख्याल हर दहशतगर्द पूंजीपति, सरकारें और उसमें बैठे चांडालो, भ्रष्टों, जालसाज को सदा रखना पड़ता है। क्योंकि जब चारों तरफ घोर नीच राक्षस पूंजीपतियों और सरकारों का भय और दहशत का अंधेरा है, देश की 50% जनता भय बेरोजगारी और भूख से परेशान हैं तो हमारा कर्तव्य है कि हर शत्रु मित्र के साथ हमारे चारों तरफ के हर व्यक्ति को, आमजन को हम कम से कम शब्दों में वाणी से भी जोश, उर्जा और हिम्मत देकर जीवन जीने की आशाओं को जागृत करें। हमारा जन्म सभी को मुस्कुराहट आशा और नवजीवन देने के लिए हुआ है। आंसू बांटने कदापि नहीं।
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