भारत में हर आभूषण व‍िक्रेता ठगोरा
कीमती धातुओं यथा सोना चांदी और प्लैटिनम के और पत्थरों के आभूषणों में ठगी आज से नहीं सहस्त्रों वर्षों से दुनिया के हर कोने में होती आ रही है। पत्थरों में न केवल हीरा, पन्ना, माणिक, मूंगा पुखराज जैसे रत्नों के साथ उप रत्नों में भी जो कि काफी सस्ते होते हैं फिर भी ठगी होती ही है। और भारत में तो 3 बड़े त्योहारों के साथ 6 छोटे त्यौहार और और इसमें विशेष रूप से हर 27 दिन में 1 बार पढ़ने वाले पुष्य नक्षत्र को खरीदी के लिए खास तौर पर गुरुवार, और रविवार जो कि साल में 104 होते हैं। के साथ में साल भर में लगभग 100 से ज्यादा नक्षत्रों सिद्ध योगों वाह 12 राशियों में अपनी राशि के अनुकूल बार वन क्षेत्र के अंतर्गत खरीदी करना शुभ माना जाता है इसलिए बाजार में 365 दिन के वर्ष में 300 दिन ग्राहक खरीदारी करने के लिए बाजार में खड़ा रहता है यही भारत की बाजार की अर्थव्यवस्था की सबसे बड़ी जान और पहचान है। जो कि दुनिया के किसी अन्य देश में नहीं होती। नाम भले ही ज्वैलर होगा पर काम तो ठगी का ही है। काम व नाम भले ही पंजाब ज्वेलर का यह डीपी या अन्य देश के बड़े-बड़े तनिष्क जैसे ज्वेलर्स। कौन देता है। 22- 24 केरेट सोने की रेट में 22:24 कैरेट सभी बड़े से बड़ा भी 18-20 और ठगोरा 10-12 कैरेट का ही माल बेचते व पकड़ाते हैं। पर भाई साहब यह दुनिया है। वै श्यानी महिलाएं जो पति को जूते की नोक पर रखकर ₹20 किलो का आलू और ₹40 किलो का टमाटर खरीदते समय जरूर उस ठेले वाले फुटपाथ वालें और सब्जी वाले से करोड़पति कार से उतर कर भी उस बेचारे सब्जी वाले से मोल भाव और बहस करती हैं। और वही करोड़पति व उन की महिलाएं जब किसी ज्वेलर्स की दुकान पर जाते हैं तो चुपचाप 22 24 कैरेट के पैसे देने के बाद भी 10-12 कैरेट का माल उठा कर ला कर भी खुश होती हैं। वहां मोल भाव नहीं कर पाती। वहां लाखों की ठगी करवा कर भी आ जाती हैं, चुपचाप। फिर भी पति के सामने और अपनी सहेलियों और रिश्तेदारों के सामने श्यान बघारती हैं। यह तो पंजाब ज्वेलर्स का एक ही कान पकड़ा गया 90% हीरों के मामले में यही होता है। जबकि सोने में 100% ठगी की जाती है। सरकार लाख बीआईएस का ठप्पा ठोके। वह सरकारी अधिकारी भी टुकड़े डाल कर 20 22 कैरेट के माल की गारंटी देकर भी माल तो वही 16 अट्ठारह कैरेट का ही टिकाते हैं। सुनारों का यह सच शताब्दियों पुराना है। उन्होंने देवताओं को नहीं छोड़ा। तो मानव को कैसे छोड़ सकते हैं? प्रस्तुति व लेखक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर www.samaymaya.com
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