मप्र में सबसे ज्यादा महंगा पेट्रोल,डीजल,गैस,शराब पर टैक्स वसूली, फ‍िर भी चारों तरफ, वेतन भत़्तेे नहीं, श‍िवराज जनधन बाप की जागीर नही,जो लूूूूटो खाओ

मध्य प्रदेश सरकार जब तक कर्मचारियों का वार्षिक वेतन वृद्धि, महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान का बकाया भुगतान न कर दे तब तक कोई भी कर्मचारी अधिकारी भाजपा के जिताने की बात ना करें। सरकार के पास 28 विधानसभा क्षेत्रों में पैसा खर्च करने वह नई-नई घोषणाएं करने सड़कें बनवाने तालाब बांध पाइप लाइन बिछाने के लिए सरकार के पास पैसा है। हर दिन चार चार पेज के सभी दैनिकों में पूरे पेज विज्ञापन देने के लिए पैसा है़। 24 घंटे ना केवल टीवी न्यूज़ चैनलों पर वरन अब तो यह वेबसाइट यूट्यूब फेसबुक टि्वटर की साइटों पर भी इनका आईटी सेल काम करने के साथ-साथ विज्ञापन देने के लिए भी जन धन से लूटा हुआ करोड़ों रुपए लुटाया जा रहा है। जबकि पेट्रोल डीजल गैस पर मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा टैक्स वसूला जा रहा है रु20 के पेट्रोल पर रु 35 केंद्र के और रु 35 राज्य सरकार को वसूल रही है। प्रति लीटर। पूरी दुनिया में पेट्रोल की कीमतें गिर रही है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में तीस $35 पर चलने के बाद में भी हमारे प्रदेश में सबसे महंगा पेट्रोल रु 90 प्रति लीटर बिक रहा है वही हाल डीजल का है वह रु80/- पर बिक रहा है इसी के साथ शराब की कीमतें भी जो महंगी करने के साथ-साथ प्रति बोतल रु 30 से रु 200 तक ज्यादा वसूल किया जाने के बाद में भी एसजीएसटी का पैसा भी सरकार को मिल रहा है। परंतु कर्मचारियों अधिकारियों को वार्षिक वेतन वृद्धि महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान का पैसा देने के लिए धन नहीं है। धन तो है। पर हरामखोर चांडाल मंत्रियों और मुख्यमंत्री को ही भर कर्मचारियों अधिकारियों को नहीं बांटना है। इसलिए आवश्यक है कर्मचारी अधिकारी यह लॉख कस लगाएं। इनको हरवा दिया जाना चाहिए। इसके साथ ही यह पक्का मानिए कि यदि भाजपा पूरी फिर से आती है। तो 30% वेतन मैं सरकारी कर्मचारियों अधिकारियों के सभी विभागों के कटौती कर दी जाएगी जैसा कि केंद्र सरकार के सभी विभागों में कर दिया गया है। वह केवल चुनाव का इंतजार कर रहे हैं। इन हरामखोर ने तो फरवरी में 30- 30% वेतन भत्ते व अन्य सुविधाएं बढ़ाने के बाद, जानबूझकर लॉक डाउन की आड़ में 30% अपना वेतन कटवा दिया। उसी के आधार पर सभी केंद्र सरकार के विभागों के कर्मचारियों अधिकारियों का वेतन काटने का आधार बना लिया वही खेल सभी भाजपा की सरकारों में राज्यों में भी किया गया है। जिसकी खबर जानबूझकर मीडिया चैनलों पर नहीं आने दी गई है। और बिकाऊ भड़वे मीडिया के इस बात को जानबूझकर ना तो समाचार पत्रों में छापते हैं और ना ही न्यूज़ चैनल पर आने दिया। यहां तक की सेना के वेतन भत्तों में कटौती कर दी गई। मध्यप्रदेश में इसलिए रोका गया क्योंकि अभी इनको 28 सीटें जीतना जरूरी है। अभी चुनाव के कारण आप लोग बचे हुए हैं.। अन्यथा तैयार रहिए 30% वेतन की कटौती करवाने के लिए अगर भाजपा आती है तो। लेखक व निवेदक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर www.samaymaya.com
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