ह‍ि‍ंंदुओं की श्रद्धा, भक्ति, विश्वास और समर्पण इतना कमजोर क्यों, जो किसी भी पाखंडी चमत्कार दिखाने वाले को देख फिसल जाये
हमारे देश की संनातन संस्कृति में ब्रह्म ज्ञानी, सिद्ध देवी देवता, सदेह भी चिरंजीवी भी अनादि काल से हम मानव प्राणियों की रक्षा सुख समृद्धि के लिए ही स्वयं विष्णु अवतार श्री राम ने वरदान देकर श्री हनुमानजी को पृथ्वी पर श्री राम जी ने अपने भक्तों, सनातनी हिंदुओं की रक्षा, सुख समृद्धि लिए ही श्री माता सीता जी व श्री राम जी ने चिरंजीवी का वरदान दिया है। हमारी श्रद्धा, भक्ति, विश्वास और समर्पण इतना कमजोर क्यों है? जो किसी भी पाखंडी चमत्कार दिखाने वाले को देख फिसल जाता है। जबकि मुस्लिम तो भिखारी भी कभी भी जय श्री राम नहीं बोलता। वंदे मातरम नहीं गाता।तो हम फिर उस पाखंडी प्रेतात्मा चांद खान के पीछे उसे साईं बाबा बनाकर पूजने क्यों पर तुले रहते हैं? बेशक प्रेत आत्माएं थोड़ी सी पूजन पत्री पर आपके कुछ काम, चमत्कार करके आपसे उसका दुगना वसूल लेती हैं। यह आपको समझ में नहीं आ रहा होगा। जबकि शास्त्रों में इसका वर्णन किया हुआ है। श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को गीता का उपदेश देते समय कहा था हे अर्जुन जो मनुष्य जिसको पूजता है। वह वैसे ही कर्म करके मृत्यु के बाद वह उसी योनि में जाता है। देवों को पूजने वाले देव योनि में, भूतों प्रेतात्माओं को पूजने वाले, पूजन के समय वैसे ही कर्म बंध बांधकर मृत्यु के उपरांत उसी योनि की इच्छा रख उसी योनि को प्राप्त होते हैं। मेरे सनातनी हिंदू मित्रों आप जिसको पूजेंगे जैसे कर्म बंध बांधेंगे मृत्यु के उपरांत उसी योनि को प्राप्त करेंगे। पूजा केवल किसी के सामने हाथ जोड़कर खड़े हो जाने और आंख मींचकर ध्यान लगाने से संबंधित ही नहीं होती यह पूर्व जन्म के कर्मों से लेकर वर्तमान और भविष्य कर्मों का बंधन भी बांधती हैं। यदि आपको धर्म का ज्ञान नहीं है, तो धर्म की पुस्तकें पढ़ें हमारे सनातन हिंदू धर्म में वेदों, पुराणों, उपनिषदों से लेकर वर्तमान तक सहस्त्रों ऋषि-मुनियों ज्ञानियों ने सैकड़ों शास्त्र लिखे हैं। उस पर किसी का बंधन नहीं है। आसानी से आप मंदिरों में, पुस्तकालयों में, या बाजार से खरीद कर उनका जाति पांती से ऊपर उठकर, जाती पाती केवल शरीर की होती है। अविनाशी आत्मा की नहीं। वह तो प्रभु का ही अंश है। शास्त्रों का अध्ययन करें, अध्ययन करने से आपको आपका यथार्थ समझ में आएगा जिस पर कोई रोक टोक नहीं है। अपनी मनुष्य योनि की श्रेष्ठता को समझ कर वैसे ही सद्कर्म कीजिए। निवेदक व लेखक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर www.samaymaya.com
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