सारा पाखंड बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अपने ऑनलाइन व्यवसाय और शॉपिंग मालस वालों को चलाने के

मैं पिछले 22 मार्च से लगातार इस महामारी के पाखंड की सच्चाई यों को हर कदम पर जनता को सावधान रहने जागरूक करने और उसको स्वस्थ रहकर अपने जीवन को अपने परिवार के जीवन को बचाने की सलाह देता रहा हूं। अपने वीडियो के माध्यम से ही जितने मैंने वीडियो भेजे। वह सब कुछ सच्चाई में, इस महामारी की लूट, पुष्टि अब 6 महीने में लगभग देश व दुनिया के हर कोने में हो चुकी है। सारा पाखंड बहुराष्ट्रीय कंपनियों के अपने ऑनलाइन व्यवसाय और शॉपिंग मालस वालों को चलाने के व्यवसाय का हिस्सा होने के साथ-साथ अमेरिकी जालसाज दवा बनाने, उपकरण बनाने, इंजेक्शन, वैक्सीन बनाने वाली जालसाज, पूंजीपतियों की बहु कंपनियों का व्यवसाय संवर्धन करने वाली इस संस्था का कार्य ही जनता के मन में बीमारी का भय फैला भारी धन मीडिया व डॉक्टरों पर खर्च करके माध्यम से डब्ल्यूएचओ की दानदाता कं की मोटी लाखों करोड़ की कमाई के ल‍िये इस जैसी हरामखोर पाखंडी जालसाज संस्था 70 साल का इतिहास इन्हीं पाखंडों और जालसजियों से भरा है। पिछले 50 सालों में, पहले इन कंपनियों ने खेती में डीडीटी का प्रयोग किया डीडीटी के प्रयोग से,पोलओि फैला फ‍िर उसके इलाज के नाम उसकें हजारों करोड़ के टीके बेंचे। एड्स के नाम पर कंडोम का लाखों करोड़ का स्थायी धन का कारोबार कर रही, गर्भनिरोधक गोलियां, पीलिया की बीमारी के नाम पर हेपेटाइटिस ए से लेकर जेड तक के टीके, स्वाइन फ्लू डेंगू बर्ड फ्लू के टीके, कोरोना के पाखंड की आड़ में सर्दी खांसी जुकाम की साधारण बीमारी में जानबूझकर करोना बता बता कर उसका ना तो वायरस है ना सरकारी व निजी अस्पतालों में, ना अच्छी प्रयोगशाला हैं, ना जांच करने के अच्छे उपकरण, ना मशीनें, ना स्टॉफ, न ही पास टेस्टिंग किट है। जो नकारात्मक को सकारात्मकता की इस महामारी की रिपोर्ट जारी करते हैं। उन जांच करने वालों के पास न्यूनतम एमएससी पैथोलॉजी या एमडी पैथोलॉजी होना आवश्यक है। जबकि स्टाफ की भर्ती 1990 से सरकारी कार्यालयों में बंद है और निजी का तो भगवान ही मालिक है वह आठवीं दसवीं पास लड़के लड़कियां कुछ भी टेस्ट निकाल कर बताते रहते हैं और वहां के मालिक डॉक्टर या अन्य कर्मी मोटे कमीशन व मरीज की हसीयत और सैंपल भेजने वाले डॉक्टरों की इच्छा के आधार पर वह जांच रिपोर्ट नकरात्मक व सकारात्मक जारी करते रहते हैं। ऑफिस भारत के सरकारी व निजी अस्पतालों इसी प्रकार प्रयोगशालाओं के हाल तो देश की जनता अच्छी तरह से समझती है। इन सब के बारे में मैं लगातार अपने वीडियो के माध्यम से ही 26 मार्च के बाद से लगातार लिख रहा हूं। दूसरी तरफ जो 4 दवाइयां ऐसे मरीजों को दी जा रही है उसमें हाइड्रो ऑक्सिक्लोरो को इनके बारे में मैंने 28 मार्च को देश और दुनिया को अपनी साइड से बताया था कि यह दवाई सबसे ज्यादा लोगों की आंखों पर हृदय लिवर और किडनी पर असर करती है और आदमी को अंधा बनाने से लेकर उसके लीवर किडनी और हृदय को बाधित कर मृत्यु कार्य कर सकती है यह रिपोर्ट उसी का एक हिस्सा है और एलोपैथिक डॉक्टर इनके पास ना तो कोई दवाई है ना कोई परफेक्ट ठोस इलाज जो जिसके मन में आ रहा है वह देख कर अपने-अपने दावे कर लोगों की जान से और मौत से खेल रहा है लाखों रुपए लूटने के बाद में भी लोगों ₹700 का इंजेक्शन 34000 से लेकर 39000 मरीजों को लगा लगा कर मोटी कमाई करने के साथ सभी सरकारी व निजी अस्पतालों में मौत का तांडव चल रहा है शासन के पास ना तो डॉक्टर हैं न जांच करने के अधिकारी जो जैसा बोल देता है वहां के डॉक्टर जा मोटा कमीशन मोटी कमाई दिखती है वह भूखे भेड़िए उसकी तरफ चल देते हैं और देश में महामारी का पाखंड कर देश के व्यवसाय देश की अर्थव्यवस्था बच्चों की शिक्षा और जनता को बर्बाद करने में पिछले 6 महीने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। जबकि सर्दी खांसी जुखाम जिससे फ्लू वायरल डेंगू मलेरिया निमोनिया इनफ्लुएंजा टीवी सांस दम भरना, जैसी बीमारियां होती है। हर बदलते हुए मौसम में आज से नहीं हजारों साल से हो रहे हैं। और उससे 8000 आदमी प्रतिदिन हमारे भारत में सन 2000 से अभी तक मरते चले आ रहे हैं। [19:51, 9/8/2020] Sri: कुछ भी नया नहीं होने के उपरांत भी केवल पूंजी पतियों के इशारे पर सारे फुटकर व्यवसाय बाजारों मंडियों को खत्म करने, 50अरब करोड़ के बाजार पर कब्जा जमाने, देश के 20लोगों को बेरोजगार करने, सारी शिक्षा को ऑनलाइन करके, भारतीय धर्म व संस्कृति को खत्म करने बच्चों को अपनी तरह से पढ़ाने अपने रंग, ढंग में ढालने, विद्यार्थियों को शारीरिक व मानसिक रूप से विकलांग बनाने, फिर लाखों करोड़ की दवायें बेंचने, गूगल द्वारा धीरे धीरे अमेरिका से पढ़ाने, शिक्षा के व्यवसाय को जो अकेले देश में ही 50 लाख करोड़ रूप से ज्यादा का है, जिसमें 80लाख शिक्षक बेरोजगार होंगे, चौपट करने, उस पर कब्जा जमाने बच्चों को बचपन से ही मोबाइलों की लत डालकर उनसे ऑनलाइन शॉपिंग मॉल वालमार्ट, ईजीशाप, अमेजॉन, अलीबाबा, फ्लिपकार्ट, स्नैपडील, जिओ मार्ट, रिलायंस रिटेल, बिग बाजार आदि से खरीदी करवाने के षड्यंत्र का और देश व दुनिया को गुलाम बनाने के षड्यंत्र का खेल है। यह महामारी का पाखंड है, जिसमें देश की सरकारें विदेशी पूंजी पतियों की कठपुतलियां बन नाच रही हैं। जनता और देश की सरकार को जागना ही होगा। निवेदक व लेखक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदौर www.ssmaymaya.com
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