56 इंची सीना, घोर भ्रष्ट, डकैत मोदी संसद अपने बाप की जागीर नहीं, डरपोंक संसद में प्रश्नकाल क्यों नहीं

अंध भक्तों 56 इंची सीना आखिर 36 से भी कम कैसे‍‌ हो गया? बहुत दहाड़ता था, सार्वजनिक मंचों पर अब घिघ्घी क्यों बन्ध रही है?संसद में प्रश्नकाल ही नहीं होगा। तो मोदी संसद अपने बाप की जागीर है। या जानवरों की सराय। जहां झूठ बोलते रहो। मक्कारी पाखंड करते रहो। आपसे कोई सवाल जवाब भी नहीं करेगा जैसे आप आपको सारे जानवरों को वैसे सब आप के इशारे पर वह सारी भेड़े बेचारी आपके इसारे पर पूंछ मटकाती हुई नाचती नजर आयें। आपको। क्यों कर लिए इतने कुकर्म संसद जहां आप कुछ भी उल्टा सीधा भ्रष्टाचार लूट डकैती पाखंड नोटबंदी देशबंदी सब करते रहो। इतना सब कुछ करने के बाद में पीएम केयर्स फंड भी खोल दो जिसमें अपने ही तीन चार लोग हैं कष्ट में ट्रस्ट अधिनियम 1952 के अनुसार कम से कम पांच ट्रस्टी होने चाहिए। फिर टेस्ट अधिनियम में यह व्यवस्था है कि जिले के सारे ट्रस्टों का अध्यक्ष जिले का कलेक्टर होता है। और वह ऑडिट और निगरानी रखता है कि धन कहां से आया और धन कहां किस मद में खर्च किया गया। पर अपन तो 56 इंची के प्रधानमंत्री है। ना। सब अपने बाप की जागीर है। कानून भी अपने बाप का है। संसद भी अपने बाप की। संविधान भी अपने बाप का जैसे चाहो तोड़ो मरोड़ो और व्याख्या करो। उसकी और अपने बाप की जागीर समझ कर रिजर्व बैंक को किस्तों किस्तों में 50 लाख करोड़ से, विभिन्न बैंकों का अपने पूंजीपति मित्रों का 50 लाख करोड़ से ज्यादा रुपए माफ करना। तेल कंपनियों को बेचना। रेल को बेचना, भारतीय जीवन बीमा निगम, देश के 40000 किलोमीटर सड़कें बी ओ टी में नीलाम। हवाई अड्डे, रेलवे स्टेशन बेचो। लाल किला बेंचो। पर संसद में कोई पूछताछ ना करें वहां 56 इंची सीने पर 36 इंची चोली फिट हो जाती है। बेहतर होता ऐसे पाखंडी जाहिल से कोई मादा ही होती और 56 इंच की होती तो चार-पांच लीटर दूध तो देती। अभी तो बहुत कुछ है बेचने के लिए राष्ट्रपति भवन है। संसद है। प्रधानमंत्री कार्यालय है। सारा पैसा कहां गया? कोई जवाब नहीं है।अपने बाप की दामोदरदास की जागीर है। जनता से, शत्रुओं चीन से, चीनी कंपनियों या शत्रु की कंपनी से विवो, अप्पो, जिओमी, माइक्रोमैक्स, टिक टॉक, आदि से अपना ट्रस्ट बनाकर पैसा बटोरा। कोई कुछ नहीं पूछे। आपसे। आप के बाप की जागीर है। क्या पूरा देश, देश का कानून संसद सर्वोच्च न्यायालय, जो इनसे कोई कहीं कुछ ना पूछे ना संसद में ना सर्वोच्च न्यायालय में न प्रेस कॉन्फ्रेंस में और नव सार्वजनिक रूप से क्योंकि अपनी रगों में तो गुंडागर्दी, लूट, अड़ीबाजी, वसूली शैशव काल से ही रेलवे स्टेशन पर चाय बेचते बेचते ही रग रग में रच बस गई थी। इस का सही सदुपयोग, आर एस एस में घुसकर आर एस एस के नेताओं को ब्लैकमेल कर फिर भाजपा में घुसकर सारे बुद्धिजीवी नेताओं को ब्लैकमेल कर अपून ने ईवीएम के फ्रॉड से जालसाजी करके आईएएस अधिकारियों को खरीद कर प्रधानमंत्री पद हथियाया है। तो उनकी तरह अपन पूरे देश के कानून को, सभी विपक्षी और पक्ष के नेताओं को, सांसदों को उसी तरीके से नचायेंगे कुदाएंगे चाहेंगे. तो बोलेंगे, जितना बोलेंगे झूठ और झूठ, मक्कारी पाखंड बोलेंगे, नहीं चाहेंगे तो नहीं बोलेंगे। क्या करना है। जो चाहेंगे करेंगे कोई हमसे कुछ नहीं पूछे। कोई प्रश्नकाल नहीं। संसद हमारे बाप की जागीर है। अंध भक्तों तुम तुम्हारा परिवार जब तक चौराहे पर कटोरा लेकर खड़ा ना हो जाए और भूख से दो चार लोगों की मौत ना हो जाए अपनी अंधभक्ति बरकरार रखना।
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