जनता को भ्रमित करने मीडिया में छाए रहने व जन सहानुभूति पाने और यह सिद्ध करने के लिए कि देश में वाकई में करोना है। करंटाइन होना, मौज मस्ती अय्याशी व आराम करने के लिये एक परंपरा
भेड़िया झुंड पार्टी के नेताओ को अपने कुकर्मों, यथा देश की नवरत्न और महारत्न कंपनियों को बेचने, नाकामयाबियों को छुपाने, जनता को भ्रमित करने मीडिया में छाए रहने व जन सहानुभूति पाने और यह सिद्ध करने के लिए कि देश में वाकई में करोना है। करंटाइन होना, मौज मस्ती अय्याशी व आराम करने के लिये एक परंपरा बन गया। अब शिवराज की राह पर अमित शाह भी चल पड़ा। वैसे भी अधिकांश नेता जो 50 साल की उम्र से ऊपर के हैं। मधुमेह उच्च निम्न रक्तचाप व अन्य कई बीमारियों से पीड़ित भी है। दूसरी तरफ अस्पताल में भर्ती होकर आराम से सारे सुख भोगते हुए अपने वित्तीय लेनदेन इकट्ठा किये जमा धन को व्यवस्थित करने अपने आसपास के सभी नेताओं को दहशत देने डराने के साथ अपने शत्रुओं को इस नाम से अस्पताल पहुंचाकर उनका मुंह बंद करने उनकी गतिविधियों पर रोक लगाने और मौका लगे तो अकाल मृत्यु का वैधानिक तरीके से संधान करने का भी एक हथियार बन चुका है। इसके साथ यह भी संभव है कि जानबूझकर अमित शाह 5 तारीख को होने वाले कार्यक्रम से बचने और शामिल ना होने के लिए यह षड्यंत्र रचा हो। संभावनाओं में यह भी संभव है की अमित शाह को इस कार्यक्रम से दूर रखने के लिए स्वयं मोदी ने अमित शाह को दूर करने के लिए अस्पताल में करंटाइन हो जाने का आग्रह किया हो। यह राक्षस और चांडालों की राजनीति है। यहां सारे भ्रष्ट लुटेरे तड़ीपार जो देश की संपत्तियों को यथा रिजर्व बैंक, सरकारी बैंकों को, बीमा कंपनियों को लूटने महारत्न नवरत्न कंपनियों को लूटने बेंचने व देश को तबाह करने के लिए एकत्रित हुए हैं। यहां कोई किसी का सगा नहीं सब मतलब के यार हैं जिसको जब मौका मिल जाए अपने तरीके से भरपूर फायदा उठाएं अमित शाह ने देश के सबसे जाने-माने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड में जिसकी अरबों रुपए की संपत्ति है उस संपत्ति पर हड़पने दो नंबर का पैसा क्रिकेट के जुए से कमाने और उसमें अपना मोटा हिस्सा मारने अपने बेटे जय शाह को जिसे न बेट पकड़ना आता है ना बॉल उसको आते ही बोर्ड का सेक्रेटरी बनवा दिया। सूत्रों की माने तो अभी अमित शाह और नरेंद्र मोदी में मनभेद और मतभेद चल रहे हैं। फिर गृह मंत्रालय के बाद अगला निशाना तो प्रधानमंत्री की कुर्सी ही है, ना। फिर श्रीराम मंदिर के इतने महत्वपूर्ण कार्यक्रम में शामिल ना होना। महामारी का शिकार बन अस्पताल में भर्ती होने के बहाने अयोध्या न जाने की रणनीति क्या भविष्य के गर्भ में किसी षड्यंत्र को अंजाम देने की चाल का हिस्सा है। भविष्य स्वयं परिभाषित करेगा।
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