ताला बंदी, कलेक्टर, प्रशासन‍िक, न‍ि‍गम, अध‍िकार‍ियों, नेताओं सांसद,व‍िधायकों, पार्षदों, सरपंचों को बनी लूट का हथ‍ियार
शंकर लालवानी पार्षद और आइ डि ए का अध्यक्ष रहते हुए कितना भ्रष्टाचार किया याद है। फिर तरफ नगर में प्रदेश में और देश में महामारी की आड़ में नगर बंदी प्रदेश बंदी देश बंदी और विश्वव्यापी बंदी की नौटंकी चल रही थी तब किशोर वाधवानी ने इसी शंकर लालवानी के माध्यम से कलेक्टर महा धूर्त घोर भ्रष्ट मनीष सिंह जिसके बाप ने 4 दिसंबर 1984 को भोपाल गैस कांड में जब गैस से लोग मर मर के टपक रहे थे।तब उसका वह घोर लालची भ्रष्ट चांडाल भूखा बाप यूनियन कार्बाइड के भारत आये एंडरसन से करोड़ों रुपए लेकर उस को अपनी जीप में बैठाकर हवाई अड्डे पर छोड़ने गया था। इसी लालवानी के माध्यम से उसी के बेटे ने वही नाटक 36साल बाद इंदोर में मनीष सिंह ने किशोर वाधवानी से करोड़ों रुपए खाकर उसके गुटके के व्यवसाय को चलाने के लिए भरे लाकडाउन में पूरे देश में उसका गुटका सप्लाई करवाया था। उसी कांड को पकड़े जाने पर मालूम पड़ा कि यह हरामखोर मनीष सिंह भी नगर की 40 लाख भूख से मरती हुई जनता का दुख दर्द को नकार अपनी मोटी कमाई के लिए किशोर वाधवानी का गुटका पूरे देश में बिक वाने में अपनी साझेदारी निभाते हुए उससे 180 बार लंबी बात की। जिसका खुलासा केंद्र सरकार के कस्टम और एक्साइज की सतर्कता शाखा ने किया यह वही दलाल सांसद लालवानी है जो इस तालाबंदी की आड़ में कलेक्टर के साथ मिलकर व्यापारियों फैक्ट्री मालिकों से मोटा कमीशन खाकर शहर में लेफ्ट राइट odd eवन का नाटक करवा कर अपने आप को हरामखोर जालसाज जनता का मसीहा बनने का दिखावा कर रहा है। घोर निक॔मा भ्रष्ट दलाल लालवानी। पूछो इस दलाल से कितने करोड़ गरीबों के राशन, पूंजीपतियों के शापिंग मालस को चलाने, स्वास्थ्य विभाग की खरीदी और निजी अस्पतालों से कमीशन में लाकडाउन के खेल में हजम किया। ऐसे संकट की घड़ी में पत्रकार मित्रों को चाहिए कि वे इन पाखंडी नेताओं और अधिकारियों का सच जनता के सामने रखकर जनता की आंख का आंसू पौंछने और उनके रोजगार और भूख के समन की व्यवस्था में अपने आप को समर्पित कर अपने सच्चे पत्रकार होने का जनता को सबूत दें। सारे डकैत नेता अधिकारी डॉ 122 दिन से जनता को किस प्रकार परेशान कर रहे हैं। हर पत्रकार को चाहिए कि वह सच्चाई प्रगट कर जनता की आंख का आंसू पौंछ कर उसके रोजगार की व्यवस्था कर उसके दो वक्त की रोटी और उसके बच्चों की शिक्षा का ख्याल रख कार्य करें। बेशक मैं बहुत ही गवार किस्म का पत्रकार हूं। पर मेरा उद्देश्य है। हर हाथ को काम और हर सुबह शाम हर गरीब और उसके परिवार के पेट में रोटी हो। उसका ख्याल रखना अपने पत्रकारिता के पेशे का पवित्र कर्तव्य समझता हूं. आप मुझे नकार सकते हैं. पर सच्चाई को समझें. डॉक्टरों कलेक्टर कमिश्नर नेताओं का यह पाखंड जो है. इसका सच का आईना जरूर दिखाएं इनको
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