पूरा दृृृृृश्य प्रसार माध्यम व उनके 99% घोर पाखंंडी, ब‍ि‍काउ धूूूूूर्त पत्रकार पूंजीपतियों और सत्ता के इशारे पर, कोठे पर नाचने वाली चंपा
भारत के समाचार पत्र, पूरा दृृृृृश्य प्रसार माध्यम व उनके 99% घोर पाखंंडी, ब‍ि‍काउ धूूूूूर्त पत्रकार पूंजीपतियों और सत्ता के इशारे पर जनता को रोज दहशत बांटते हैं वह कभी भी पूरे तरीके से गणना करके लोगों को नहीं बताते कि हमारे देश की आबादी विश्व की दूसरे नंबर की आबादी है हमारी आबादी अमरीका से साडे 4 गुना ज्यादा है अमेरिका की आबादी मात्र 30 करोड़ तो भारत की आबादी 140 करोड़ है। 140,00,00,000 population ÷35000death=0.000004% चार महीने में मरे। जबकि 8000 आदमी हर दिन सड़कों पर मरता था अर्थात 9,60,000 आदमी सड़कों पर मर जाना चाहिए था। पिछले 120 दिन में 8000 आदमी प्रति दिन यहां पर कैंसर से मरता है। इतने ही लगभग हार्टअटैक से मरते हैं। 7000 आदमी प्रतिदिन सर्दी खांसी बुखार जन्य बीमारियों अर्थात वायरल फीवर इनफ्लुएंजा स्वाइन फ्लू डेंगू मलेरिया निमोनिया टीवी श्वास दमा खांसी आदि से भी मरता है। 140 करोड़ कि आबादी मेंऔसतन प्रतिदिन 1.4 लाख बच्चे जन्म लेते हैं। अर्थात साल भर में 365×1.4= 5.01 करोड़ का जन्म और 50000 प्रतिदिन मरते भी है। 365×50000=1,72,50000 साल भर में मरते भी हैं। अर्थात हर साल आबादी में 3.5 करोड़ लोग जुड़ जाते हैं। देश के राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बड़े टीवी चैनल्स और समाचार पत्र जो अपने को देश दुनिया का समाचार पत्र कहते हैं जिसमें दैनिक भास्कर आज भी समाचार पत्र में पूरा मुखपृष्ठ दहशत भरे समाचारों से भरा हुआ है। भारत में दुनिया का सहस्त्रों वर्ष सबसे पुराना चिकित्सा शास्त्र आयुर्वेद है। जिसे स्वयं भगवान धन्वंतरी जो विष्णु अवतार थे ने ही लिखा है उन्होंने उन सारी बीमारियों की वृहत व्याख्या उस ग्रंथ में हजारों साल पूर्व जड़ी बूटियों और प्राकृतिक तरीके से नियम धर्म और संयम से जीवन यापन करने पर स्वस्थ होने की प्रक्रिया बता दी थी। जब सहस्त्र वर्ष पूर्व ही सर्दी खांसी जन्य अनेकों बीमारियों का पूर्व से ही वर्णन है। साथ ही हमारे घरों में हजारों वर्ष पूर्व भी हमारे ऋषि-मुनियों आयुर्वेदाचार्य और हमारी पारंपरिक जीवन शैली में हमारे भोजन में ही मसालों के रूप में आयुर्वेदिक औषधियां जिसमें काला, सेंधा नमक, काली, पीली, सफेद, दारू हल्दी, धनिया, राई, जीरा, काली, लाल, हरी मिर्ची, तेज पत्री, जायफल, दालचीनी, मैथी, कलौंजी के साथ मौसमी सब्जियों जिसमें अदरक, लहसुन, प्याज टमाटर लौकी गिलकी कद्दू बैंगन भिंडी टिंडे आम पत्ता गोभी फूल गोभी हरी गोभी आदि सभी औषधीय गुणों से भरपूर हमारे सुबह शाम के भोजन के महत्वपूर्ण हिस्से होते हैं। औषधियों के रूप में हम सेवन करते आ रहे हैं। स्वाभाविक सी बात है कि हम उन मसालों के रूप में ही प्रतिदिन ढेर सारी शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधियों का सेवन जन्म से लेकर मृत्यु तक प्रतिदिन करते चले आ रहे हैं। इसलिए हमारा स्वास्थ्य रहना बहुत सामान्य सी बात है। यही बात यूरोपियन दवा उत्पादक कंपनीयों के विश्व स्वास्थ्य बिगाड़ो और लूटो संगठन को हजम नहीं होती। हमारे यहां हमारे बुजुर्गों ने मौसम के हिसाब से फलों सब्जियों मसालों आदि का सेवन करना हमारी शैशवावस्था से हमको सिखा दिया है। इसलिए हमारे यहां मौसम जन्य बीमारियों पर नियंत्रण पाना बहुत आसान होता है। फिर भी हमें चौबीसों घंटे हमारे मोबाइलों पर समाचार पत्रों में टीवी चैनलों पर दहशत बांटने का जो षड्यंत्र चांडाल मोदी और उसकी भेड़िया झुंड पार्टी ने रच रखा है। पूंजीपतियों का पेट भरने के लिए, सारे बाजारों को मंडियों को छोटे व्यापारियों को फुटपाथ पर ठेले पर गली मोहल्ले के कोनो पर फल सब्जी बेचने वालों को किराना व्यवसायियों को नष्ट कर भूख से मारकर तालाबंदी की आड़ में ताकि सारा व्यवसाय उन महा नीच घोर चांडाल मुकेश अंबानी, टाटा, बिरला, वाल मार्ट, युनिलीवर, ऑनलाइन में अमेजॉन, स्नैपडील, फ्लिपकार्ट, जोमेटो कला उबेर आदि से लाखों करोड़ कमीशन खाकर सारे 140 करोड़ की आबादी के देश को उन पूंजी पतियों का गुलाम बनाना है। ताकि इन भेड़ियों को महीने का मोटा चंदा, गली, मोहल्ले के पार्षदों, नगर निगम कर्मचारियों, पुलिस वालों, कलेक्टर, कमिश्नर ,सचिव, प्रधान सचिव से लेकर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री विधायकों सांसदों टुकड खोर श्वानो को मिलता रहे। यह सच है। महामारी का। निवेदक व लेखक प्रवीण अजमेरा समय माया समाचार पत्र इंदोर www.samaymaya.com
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