95% भारतवंशी जहरीले, कृृष‍ि के कीटनाशको के कारण पूरा भोजन जहरीला, तो कोरोना भारतीयो में ज‍िंंदा कैसे रहेेेेेेेगा??

इस भारत में क्या खाकर जिंदा रहेगा कोरोनावायरस? 135 करोड़ की आबादी में जब यह सारे लोग स्वयं ही भारी अंदर बाहर से भारी जहरीले हों। बाहर का जहर तो आपने देख ही लिया जो डॉक्टरों पुलिस वालों पर भी इतनी परेशानी मेेंं भूखे प्यासे रहकर जन सेवा में लगे हैं। उन पर भी पत्थर फेंकना और थूकना यह सब बाहर का का जहर ही है। फिर अंदर के जहर में आयोडीन नमक, सफेद शक्कर, श्वेत, स्वादिष्ट मीठेे जहर, और रिफाइंड सोया तेल, जबकि सोयाबीन दलहन है। तिलहन नहीं। जिसके नाम पर हमें अमेरिकी इंडोनेशिया के पामोलिन को अनेकों जहरीले रसायनों से गुजार कर खिलाया जा रहा है। घातक धीमे जहरीले रसायनों और खाद डिटर्जेंट पाउडर से बना हुआ दूध मिठाईयां आइसक्रीम आदि, यह तो हमारे भारतीय कई पीढ़ियोंं से सेवन कर रहेे हैं। हमारी रोग प्रत‍िरोधक क्षमता हमारे रसोई के मसालों से जो पूरी आयुर्वेद‍िक औषध‍ियां हैं, हमारे भोजन का महत़्वपूूूूूर्ण अंश हैं, से बची हैं। फ‍िर द्वितीय महायुद्ध में अमेर‍ि‍का, जर्मनी, रूस, चीन, ब्र‍िटेन आद‍ि देशों ने मानव आबादी को नष्ट करने तैयार किए गए घातक रसायनों का वही जखीरा जिसे नष्ट नहीं किया जा सकता था। बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने उन रसायनों का उपयोग अत्यधिक धीमा पानी में व अन्य रसायनों में मिलाकर उसका प्रयोग खेती में कीटनाशकों के रूप में उपयोग करना शुरू कर दिया और उसके लिए बाकायदा भारत की सरकारों को खरीदकर 1967-68 में कृषि कीटनाशक अधिनियम बनाकर कानूनी तरीके से हमें जहर खाने की व्यवस्था कर दी गई। इससे ही 21लाख लोग केंसर का श‍ि‍कार हो हर साल 10लाख करोड सेे ज्यादा खर्च कर भी अकाल मृृृृृृत्यु को प्राप्त होते हैं। अब इस जहर का सेवन हम हमारे भोजन के हर खाद्य में दाल साग सब्जियों में फलों आदि में बरसों से कर रहे हैं। फिर स्तरहीन दवाइयों में, एंटीबायोट‍िक दवाइयों में, बोतल बंद पानी में, देशी विदेशी कंपनियों के कोल्ड ड्रिंक में, बहुराष्ट्रीय कंपनियों के पैकेज्ड बंद खाद्य पदार्थों में इतना जहर खा लेते हैं। हमारे भारतवासी इतना जहर अपने पेट में पहुंचा देते हैं। कि शरीर में कोरोना वायरस का जिंदा रहना संभव ही नहीं। घुसने की कोशिश की भी होगी तो मालूम पड़ा पहले पहले ही यह सारे भारतवंशी इतने जहरीले हैं। कि वह स्वयं छोड़कर भाग गया। जबक‍ि विदेशों में सारा माल स्पेन इटली इराक अमेरिका आदि के लोग भोजन की शुद्धता यहां तक कि जैविक खाद्य के साथ, सूती वस्त्र भी जैविक तरीके से पैदा किये कपास के उपयोग कर रहे हैं।फिर जिसमें जनता को जहर खाने की व्यवस्था के लिए खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम 1954 को खत्म कर सभी भाजपा कांग्रेस व अन्य दलों के सांसदों को खरीद कर को रु 500 करोड़ से लेकर 5000 करोड़ रुपए में खरीद कर जिसकी जैसी क्षमता थी भुगतान कर सन 2006 में खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम पूंजीपतियों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के विषैले रसायनों युक्त पैकेज्ड फूड फ्रूट जूस शीतल पेय व अन्य खाद्य सामग्री के लिए षड्यंत्र पूर्वक तरीके से लाद दिया गया था यह कोरोना वायरस उसी के पालन की और देश के 2 करोड़ छोटे व्यापारियों को किराना व्यवसायियों कर सारी मंडियों को बंद करने फुटपाथ से लेकर तीनों पर दुकानों पर सब्जी बेचने खाद्य सामग्री बेचने वाले चाय पकौड़ी कचोरी बचने वाले सब को खत्म करने का षड्यंत्र है। ये उच्च वर्ग व व‍िदेशी अपने शरीर की प्रतिरोधक क्षमता का बड़ा ख्याल रखते हैं। ज्यादा शुद्ध पदार्थ खाने और ज्यादा ख्याल रखने में शरीर की प्रतिरोधक क्षमता उल्टे ही कमजोर हो गई और इसलिए धड़ा धड़ मरने लगे़। यदि सच है, तो। वरना यदि वह भारत की तरह अंदर और बाहर से इतने जहरीले होते तो करो ना देख कर भाग जाता चिंता मत करो हम अंदर बाहर से बाहर जहरीले हैं करोना की तो ऐसी का तैसी। डरने का नहीं भागने का भी नहीं। अभी मैं हूं। ना। धरती पर भेजा हुआ भगवान का तिनके बराबर दूत।
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