सरकारों में बैठे कर्मचारी राज्यों में 9 महीने, केंद्र में 8 महीने काम करके 14 महीने का वेतन
देश के 50 करोड लोगों को अपने जीवन यापन के लिए 365 दिन काम करना पड़ता है। उनकी मेहनत से लूटे हुए करो से सरकार चलती हैं। सरकारों में बैठे कर्मचारी जो 9 महीने काम करके 14 महीने का वेतन लेते हैं। इसके बावजूद हर कदम लूटपाट भ्रष्टाचार डकैती डालना इन का जन्मसिद्ध अधिकार है। फिर कभी छठवां वेतनमान चाहिए कभी सातवां चाहिए और कभी आठवां वेतन मान चाहिए उसके बाद में महंगाई भत्ता भी चाहिए साल में एक बार घूमने के लिए आने जाने का पद के अनुसार रेल किराया से लेकर विमान किराया, आने जाने, ठहरने तक सब भुगतान भी चाहिए। रहने से निकली उसके भी खर्चे चाहिए यह सब उन 50 करोड़ लोगों की मेहनत की कमाई पर हरामखोर सूकरो की फौज सारी मौज मस्ती और ऐश करने के बावजूद साल के इसके विपरीत सरकारी अधिकारी कर्मचारी 365 दिन में से मात्र 270 दिन अर्थात 9 महीने काम करता है। साल के 52 रविवार 24 शनिवार और 15 से 20 अन्य अवकाश कुल 96 अर्थात् 3माह, केंद्र में 8 महीने साल के 52 रविवार 52 शनिवार कुल 104 और 15 से 20 अन्य अवकाश कुल 120 से 124 दिन अर्थात् 4माह और वेतन लेता है पूरा 14 महीने का। क्योंकि उसे 33 दिन का अर्जित अवकाश 13 दिन का आकस्मिक 15 दिन का सर्वेतनिक चिकित्सा अवकाश मिलता है जो 61 दिन होता है अर्थात 2 महीने। इसके विपरीत यह पूरी जाल साजियां करेंगे। अपने मनमर्जी से जनता का खून पीने के लिए कानून बनाएंगे यह जनता का लूटा हुआ पैसा अपने बाप की जागीर समझ कर कहां कैसे खर्च करेंगे उसका भी हिसाब नहीं देंगे। सूचना का अधिकार बड़ी मुश्किल से आजादी के 58 साल बाद लगाया। गया उसका नाम सुनकर राष्ट्रपति प्रधानमंत्री कार्यालय से लेकर नीचे तक हर किसी अधिकारी की गले में अटकती है क्योंकि हर किसी की रग-रग में खून के हर कतरे कतरे में भ्रष्टाचार मक्कारी लूट डकैती भरी हुई है। सूचना का अधिकार लगे हुए 15 साल हो चुके हैं धारा 4 के अंतर्गत प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति कार्यालय से लेकर सर्वोच्च न्यायालय उच्च न्यायालय प्रदेश के सभी मुख्यमंत्री कार्यालय सभी मंत्रालय जनता के धन को लूट कर अपनी मौज मस्ती में व्यस्त हैं चाही गई 17 बिन्दुओं की जानकारी अभी तक नहीं विभागीय इंटरनेट साइट पर लोड नहीं की जाती। शासकीय विभागों में बैठे 99% अधिकारी द्वितीय श्रेणी से लेकर और राष्ट्रपति प्रधानमंत्री कार्यालय में बैठे सभी कनिष्ठ व वरिष्ठ भारतीय प्रताणना सेवा अधिकारी तक घोर भ्रष्ट जालसाजों का गिरोह है। सारे राजनीतिक दल जो स्वयं गुंडे बदमाशों अपराधियों का गिरोह है। 15 सालों में किसी भी राजनीतिक दल ने भ्रष्टाचार भ्रष्टाचार के आरोप तो बहुत लगाते हैं पर कभी किसी ने है मांग की निचले स्तर से लेकर दिल्ली के राजधानी स्तर तक की धारा चार पूरी की जाए वह अरविंद केजरीवाल बहुत बड़ा ईमानदार बनता है क्या दिल्ली सरकार के सभी कार्यालयों की साइट पर कितना धन कहां से आया कहां खर्च किया कौन सा अधिकारी किस पद पर कब से बैठा हुआ है। उसके जाति प्रमाण पत्र शैक्षणिक योग्यताएं क्या है। जब वह नौकरी में आया था तब की कितनी संपत्ति थी और वर्तमान में कितनी संपत्ति है घोषणा की जाती है नियमित रूप से, कितने मामले पर लंबित हैं की जानकारियां लोड की गई क्या? कौन सा कार्य जनहित के लिए कहां करवाया जा रहा है उसकी लागत क्या है उसकी लंबाई चौड़ाई उसका ठेकेदार समय सीमा क्या है 15 साल गुजर जाने के बाद लोड नहीं की गई। किसी भी समाज किसी भी गैर सरकारी संगठन किसी भी न्यायालय उच्च न्यायालय सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश ने कभी कहा जो अपने आप को ईमानदारी का काला काला चोगा पहन कर जनता को न्याय देने का पाखंड करते हैं। की जनता से लूटा हुआ धन आप के बाप की जागीर नहीं है सारी जानकारियां सार्वजनिक करो जब संविधान में 1950 में इसकी व्यवस्था की गई है तो क्योंकि भ्रष्टाचार के हमाम में सभी गले तक डूबे हुए समय का लाभ लेते हुए पूरे मौज के साथ जिंदगी व्यतीत कर रहे हैं।
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