म प्र डकैती विकास निगम की सड़कों पर जनता की जेब पर चारों तरफ से डकैती,
मध्य प्रदेश सड़क डकैती विकास निगम के घोटालों और उसके निर्माण के साथ ही जो मैंने लिखा था और लगातार 2004 से लिखता रहा हूं। वह वैसा का वैसा ही सही सिद्ध हो रहा है। वही हाल राष्ट्रीय राजमार्ग सड़क विकास प्राधिकरण का भी होना है और हो रहा है अंदर ही अंदर पर वहां भी चूूंक‍ि‍ सभी भूतल परिवहन, वन एवं पर्यावरण, वित्त आदि के केंद्रीय मंत्रालय में बैठकर एक करोड़ से 4 करोड रुपए प्रति किलो मीटर हजम कर जाते हैं। इसलिए हर बीओटी सड़क में कोई कुछ नहीं बोलता। सच तो यह है कि प्रदेश में बीओटी ठेकेदार मुख्यमंत्री से लेकर प्रधान सचिव लोक निर्माण विभाग एवं संचालक सड़क विकास निगम प्रमुख अभियंता लोक निर्माण विभाग से लेकर संभागों में पदस्थ और बैठे संभागीय प्रबंधक बी ओ टी ठेकेदारों से महीना खाते हैं हर बी ओ टी ठेकेदार उसके क्षेत्र में बैठे संभागीय प्रबंधक से लेकर उपयंत्री स्तर तक के हर इंजीनियर को हर सड़क से मासिक वेतन देता है। इसलिए वह ना तो बैंक से लिए गए ऋण की किश्तें चुकाता है। न ही नियमित रूप से सड़कों के मरम्मत कार्य करता है और नहीं हर साल में 33% पुर्न नवीनीकरण करता है और सारा धन हजम कर जाता है। ठेकेदार आखिर क्यों चुकाएगा। उसने तो वास्तविक कीमत का चौगुना ऋण, 20% का अपना हिस्सा दिखाकर 80% बैंक से लिया है। 25% का निर्माण का काम किया है। 25% रिश्वत बांटी है़।25% का तत्काल लाभ प्राप्त कर लिया है। निर्माण में। क्योंकि डीपीआर बनाते समय ही उस पर 4 गुना ज्यादा कीमत की डीपीआर बनाई गई 4 गुना ज्यादा का ट्रैफिक दिखलाया गया और परियोजना को बी ओ टी के अंतर्गत ऋण चुकाने योग्य पाया गया। इसलिए बैंक ने उस पर गारंटी मप्र सरकार की थी। आंख मीच के बैंक प्र अपना 0.25% से लेकर 0.5% तक बैंक महा प्रबंधक ने भी कमीशन और सुरासुंदरी का भोग कर ऋण स्वीकृत कर दिया था। ना ही सड़कों का अनुबंध के अनुसार मेंटेनेंस करता है। यह सब के विपरीत क्षेत्रीय प्रबंधक जो उसका ठेकेदार का मासिक तनखैय्या होता है। हर महीने उसकी ओके रिपोर्ट देता रहता है। इसी कारण जो अनुबंध के अनुसार 3 साल में एक बार 7% टोल टैक्स बढ़ाया जाना चाहिए था। इन हरामखोर जालसाजी और डकैतों ने उसे मोटा पैसा खाकर मंत्री से लेकर नीचे तक 7% हर साल टोल टैक्स बढ़ाने की छूट दे रखी है। और वह सड़क पर डकैती डालते हुए बीओटी ठेकेदार जनता को उबड़ खाबड़ खराब सड़कें होने के बाद में भी लगातार लूटता रहता है। अभी हाल ही में जब जून-जुलाई से अभी तक लगातार पानी गिरने के कारण अधिकांश प्रदेश की सड़कें भी खराब हो चुकी है। लोगों को टोल टैक्स चुकाने के बाद में भी उबड़ खाबड़ गड्ढे युक्त सड़कों पर रोते झीकते हुए निकलना पड़ता है। जबकि इस डकैतों विकास निगम को तत्काल सड़कों पर टोल टैक्स की वसूली बंद कर सड़कों के दुरुस्त होने तक रोका जाना चाहिए था। पर इन हरामखोर सूकरो ने किसी भी ठेकेदार को ना तो कोई नोटिस दिया ना टोल टैक्स वसूली रोकी गई और जनता की जेब पर डकैती डालते हुए स्वयं की दुर्घटनाओं और वाहन की बर्बादी की कहानी लिखने के लिए छोड़ दिया गया। सड़क डकैती विकास निगम मैं बैठे भारतीय प्रताड़ना सेवा के जिनका पावन उद्देश्य येन केन प्रकारेण सार्वजनिक संपत्तियों को पूंजीपतियों को बेचकर गिरवी कर, पहले स्वंय लूटना, और पूंजीपतियों के माध्यम से जनता को लुुवाना निकला। घोर भ्रष्ट एवं जालसाज विवेक अग्रवाल केे समय में सबसे ज्यादा बी ओटी के ठेके 3 से 4 गुना कीमत पर दिए गए। उस हरामखोर में प्रति किलोमीटर 1करोड रुपए तक हजम किया। सभी सड़क बीओटी के ठेको मैं 80% तक बैंक ऋण स्वीकृत करवा कर मध्य प्रदेश सरकार ने अपनी गारंटी दी है। अभी पत्रिका ने 15000 करोड रुपए की जो खबर छापी वह केवल मूल की रकम इसमें ब्याज नहीं जोड़ा गया है़। ठेकेदारों द्वारा जमा ना करने पर जनता से लूटे हुए धन से सरकार को बैंकों को करना पड़ेगा। सड़क पर वाहन चालकों को टोल टैक्स चुकाने के बाद में यदि खराब सड़कों के कारण कोई दुर्घटना होती है। मृत्यु होती है। वाहन खराब होता है। उस पर वाहन चालकों को संबंधित ठेकेदार के ऊपर वाद दायर कर अपने क्षतिपूर्ति के साथ अपने मुकदमा लड़ने के खर्च को भी वसूली करने का अधिकार है। कहानी और भी गहरी है। जिसे मेरे पत्रकार साथी चाहे तो samaymaya.com की साइट पर पढ़ सकते हैं।
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