बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ठेका खेती और उद्योग धंधों पर कब्जे से 100 करोड लोगों को बेरोजगार बनाने का षड्यंत्र

बहुराष्ट्रीय कंपनियों का षड्यंत्र देश की काली मिट्टी की जमीनों को हथियाने के लिए 1970 से हमारे देश में शुरू हो गया था। यूरोपीय जालसाज महाधूर्त बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने विश्व बैंक अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के माध्यम से दुनिया के हर देशों की हर सरकार को, विकास के नाम पर कर्ज बांट कर ताकि सरकार के मंत्रियों और अधिकारियों को भ्रष्ट बनाकर खरीदा, फिर वहां के मानव निर्मित प्राकृतिक स्रोतों पर कब्जा करने के लिए कानून बनवाए। इसके अंतर्गत भारत में विश्व की सर्वश्रेष्ठ खेती की जमीनों को कब्जाने के लिए प्रयास किए। इसके लिये सबसे पहला प्रयास था। मनरेगा के अंतर्गत 100 दिन की मजदूरी और ₹1 किलो में गेहूं ₹2 किलो में चावल देकर भूमिहीन मजदूरों को निकम्मा और आलसी बनाकर छोटे खेत के किसानों की जमीनों पर काम न करने देने के लिए उन से अलग करने का षडयंत्र रचा गया। इस षडयंत्र की बुनियाद में कांग्रेस और भाजपा के भूखे भेड़ियों ने आंख मीच कर इन बहुराष्ट्रीय कंपनियों के साथ देसी चोला ओढ़े इंडियन टोबैको कंपनी, जिसका हरियाली के नाम से हर जिले के बाहर बड़ा किसानों की उपज खरीदने के लिए और जमीन पर कब्जा करने के लिए हरियाली के नाम से बढ़ा क्रय विक्रय केंद्र काम कर रहा है। पिछले 20 सालों से, हिंदुस्तान लीवर, कैलाग, कारगिल , मैकडोनाल्ड, पार्ले, वॉलमार्ट के साथ देसी टाटा, बिरला, अंबानी, जिनके बड़े शॉपिंग मॉल सन 2000 में बनने लग गए थे। इन सब ने एक अरब करोड़ से ज्यादा धन चंदे में तत्कालीन भाजपा अटल की और बाद में कांग्रेस की सरकार को देकर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 बनवा लिया था। जिसके अंतर्गत किसानों की जमीन हड़पने के लिए सबसे पहले मंडियों को खत्म करना फिर छोटे-मोटे व्यापारियों हाकरों, ठेले वालों, सब्जी वालों विभिन्न कानूनों के जाल में फंसा कर उस पर कभी प्लास्टिक के नाम पर कभी हाइजीनिक के नाम पर कभी गंदी बाड़ा नाली के नाम पानी से सब्जी धोने के नाम पर मोटी पेनाल्टी ठोक कर जो 25हजार से शुरू होकर 5लाख तक जाती है। जिसकी लूट और दंडात्मक कार्रवाई के सारे अधिकार कलेक्टर डिप्टी कलेक्टर, सहायक कलेक्टर के पास में होते हैं। और वही करोड़ों रुपए मिलने कमा रहे हैं पिछले 8 सालों से। वर्तमान में स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट जी खुश सब्जी बेचने वाला हर महीने खाद्य सुरक्षा में मानक अधिनियम के नाम पर कलेक्टर और खाद्य सुरक्षा अधिकारी मनीष स्वामी से लाखों को महीने की रिश्वत ले रहा है। सारे धंधे को चौपट कर लगभग 10 करोड लोगों को बेरोजगार बनाकर सारा माल उनकी मनचाही 10 से 50 गुना कीमतों पर शापिंग मॉल से बिके। बदले में इन सूअर की औलाद भूखे भेड़िए विधायकों सांसदों से लेकर प्रधानमंत्री मुख्य मंत्री, जिले के कलेक्टर नगर निगम आयुक्तों, पालिकाओं के मुख्य कार्यपालन अधिकारियों तक को, जिले के एसपी थानों के टीआई, से बीट के पुलिस वालों को महीने के मोटे टुकड़े डालकर खरीद कर जनता को नुंचवाने शॉपिंग मॉल में कोई कीमतों पर बहस करें तो उनके बाउंसर से ठुकवाने पिटवा ने और मरवाने की व्यवस्था की दहशत फैला कर देश की 132 करोड़ जनता को लूटने का षड्यंत्र तैयार है और यह भेड़ियों की औलाद कमलनाथ वही कॉन्टेक्ट फॉर्मिंग की बात कर रहा है। ताकि पहले किसानों से कांटेक्ट फॉर्मिंग के नाम पर जमीन ली जाएंगी और बाद में उनको धीरे-धीरे करके भूमिहार को निपटा कर जमीन हड़प ली जाएंगी। क्योंकि उनके पास कॉन्ट्रैक्ट किलर से लेकर कलेक्टर कमिश्नर श्री लेकर सुप्रीम कोर्ट से जिला कोर्ट भी सब उनकी पिछड़ों की जेब में होगी। एक बार कारोबार शुरू होने के बाद में कोई उनसे टकराने की हिम्मत ही नहीं करेगा। किसानों जागो भूखे बड़े भेड़िए राजनीतिक भाजपा कांग्रेस के मुख्यमंत्री प्रधानमंत्री व अन्य सभी मंत्रियों विधायकों सांसदों जो कि बहुराष्ट्रीय कंपनियों की कठपुतली बनकर उनसे मोटा धन खाते हैं। कानूनी शिकंजे और उससे ना मानने पर खेतों के माध्यम से जनता को लूटने का पूरा षड्यंत्र तैयार कर लिया गया है। इन सब का खुलकर विरोध करें यदि फसलें बिगाड़ती हैं। तो प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना मुख्यमंत्री फसल बीमा योजना अंबानी की फसल बीमा योजना कृषि बीमा योजना के अंतर्गत किसानों से लूटा गया धन कहां है? फसलें बिगड़ने पर उनका मुआवजा क्यों नहीं दिया जा रहा है? इसके ऊपर ध्यान लगाएं अपनी जमीनें बहुराष्ट्रीय कंपनियों को कांटेक्ट फार्मिंग के नाम पर गिरवी कर अपनी मौत को खुला आमंत्रण देने से बचें। षड्यंत्र राष्ट्रीय नहीं वरन अंतरराष्ट्रीय है। इन्होंने यूरोप अफ्रीका और एशिया महाद्वीप के अनेकों देशों में इसी प्रकार से वहां की जमीनों पर कब्जा कर करोड़ों लोगों को वहां बेरोजगार बनाकर खाद्य सुरक्षा गारंटी के नाम पर उन्हे टुकड़े डाल, बेरोजगार, भिखारी बना कर छोड़ दिया है। इसे समझें और षडयंत्रों को सब मिलकर नाकाम करें। निवेदक प्रवीण अजमेरा समयमाया समाचार पत्र इंदौर
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