देश की बर्बाद होती अर्थव्यवस्था पर से जनता और मीडिया का ध्यान हटाने, यातायात के भारी लूट के नियम

मोदी है तो मुमकिन है। यातायात के नियमों की आड़ में मोदी चाहता है देश में जनता सड़कों पर उतर कर आंदोलन करें। ताकि देश की बर्बाद होती अर्थव्यवस्था पर से जनता और मीडिया का ध्यान हटाया जा सके। मोदी ने ईवीएम की जालसाजी से देश की सत्ता दूसरी बार हथिया तो ली। परंतु आपराधिक मानसिकता के इस अनपढ़ घोर जाल साज पहली पंचवर्षीय योजना में अपने पूंजीपति आकाओं के लिए पहले नोटबंदी और दूसरी बात जीएसटी ठोक कर जिसे केंद्रीय सरकार के वित्त मंत्री वित्त सचिव से लेकर पूरे देश के विक्रय कर विभाग के और केंद्रीय कस्टम और एक्साइज के के सारे कर्मचारी और अधिकारी स्वयं ही नहीं समझ सके तो फिर कर सलाहकार और व्यापारी उद्योगपति छोटे-मोटे व्यवसाय करने वाले कैसे इस जीएसटी को समझ सकते हैं? 2 साल में आज तक कोई भी कर विभाग का अधिकारी और कर्मचारी तक किसी प्रकार से नौकरी करने के लिहाज से काम चला रहे हैं। परंतु पूरे देश में गुजरात के बडोद स्टेशन के टुच्चे, उठाईगीरे और छिछोरे, नीच, चाय की ठिलिया लगाने वाले ने ब्लेकमेलिंग से अपने वरिष्ठ नेताओं को जो ज्ञानी ध्यानी थे। कुछ को तो मोक्षधाम पहुँचा दिया। कुछ को जो इसकी आंख के कांटे हैं। पहुंचाने की तैयारी है। इन भूखे भेड़ियों ने सत्ता पर कब्जा कर देश में चारों तरफ तबाही मचा दी। पहले जनता के नोटबंदी के बाद जनधन में 50 करोड खाते खुलवा कर, न्यूनतम शेष के नाम रू 4.5लाख करोड़ हजम कर दिया गया। उससे भी बैंकों की वित्तीय स्थिति में सुधार नहीं आया तो बैंकों का संविलियन करना शुरू कर दिया। जिससे चारों तरफ बेरोजगारी उद्योगों का बंद होना। रुपए की कीमत डॉलर के मुकाबले गिरते जाना हो रहा है। अपने उन कुकर्मों से जनता का ध्यान हटाने के लिए जनता को परेशान करने यातायात के नाम भारी मोटी वसूली के लिये नये कानून थोप कर जेल की व्यवस्था भी कर दी गई। जबकि ये रक्तपिपासु दानव जानता है कि देश में शहर के सड़कों की हालत क्या है? सड़कों का निर्माण नेताओं की मर्जी से उनके फायदे के लिए बिना इंजीनियरिंग जांच पड़ताल और सूक्ष्म अध्ययन के मनमर्जी से मोटा धन हजम करने के लिए बनाई जाती है। चारों तरफ पूरे देश में शहरों की सड़कों पर यातायात का भारी दबाव रहता है। फिर पूरे देश की सड़कों पर भारी बरसात के कारण भारी गड्ढे हो चुके हैं। वाहन चलाना पूरे देश में सड़कों पर कितना जोखिम भरा हो चुका है। फिर हेलमेट पहन कर गाड़ी चलाने से न तो दांयें-बांये दिखता है। न पीछे व दांये बांये से आने वाले वाहनों की आवाज ही सुनाई पड़ती है। इससे भी सैकड़ों लोग हर दिन दुर्घटना का शिकार होकर मृत्यु को प्राप्त होते हैं। हेलमेट का डिजाइन ही दोषपूर्ण है। उसे बदलने की कहीं कोई पहल आज तक नहीँ की गई। इस झूठे मक्कार शिगूफेबाज जालसाज ने जानबूझकर इन सब की अपेक्षा कर जनता को इसके विरुद्ध इस कानून के खिलाफ सड़कों पर आंदोलन करने के लिये मजबूर कर दिया है। ताकि जनता और मिडिया का ध्यान उसके कुकर्मों, और हर कदम उसकी असफलता से हटाया जा सके। उठो जनता जागो और यातायात के नियमों की पूरे देश में सड़कों के साथ कानून में सुधार के लिये सड़कों पर उतर आंदोलन के लिये तैयार हो जाओ। जितनी एक मजदूर की सरकारें मजदूरी नहीं देती। रू5-7000/- मासिक में सरकारी विभागों में वर्षों से नौकरी कर रहे हैं। उससे ज्यादा का एक बार में दंड और जेल की व्यवस्था कर दी गई है। बेशक ये घोर आपराधिक मानसिकता का नीच मोदी भी यही चाहता है।
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